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| जय हिंद, "मेरे हीरो" |
"भिगोकर वर्दी लहू में
वो कहानी दे गए अपनी,
निभा कर मोहब्बत वतन के खातिर
वो निशानी दे गए अपनी,
मनाते रह गए वेलेंटाइन डे हम और तुम
वहां जान लूटा कर सरहद पर वो जवानी दे गए अपनी।"
14 फरवरी, यह दिन बहुत से लोगों के लिए वेलेंटाइन डे हो सकता है, खुशियों का दिन हो सकता है या फिर कोई आम दिन हो सकता है। पर यह दिन भारत का वह बुरा दिन है जिसमें हमने अपने कई वीर जवानों को खोया था। पिछले साल 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में एक हमला हुआ था जिसमें 40 से भी ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। यह दिन कभी भुलाए नहीं भूला जा सकता। पुलवामा में शहीद हुए जवानों और हर रोज़ हमारी सुरक्षा में तैनात जवानों को मेरा नमन।
आपको बता दें कि आज के ही दिन 1931 में सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 23 मार्च 1931 में उनको फांसी दे दी गई थी। हमें उन शूरवीरओ की शहादत को हमेशा याद करना चाहिए और उनके चरित्र एवं उनके त्याग से बहुुुुत कुछ सीखना चाहिए।
"दिखा गया वो वीर मोहब्बत अपनी
तुम में देशभक्ति जागे तो बताना,
आयी है लाश सरहद से उसकी
तुम्हारा लहू खौले तो बताना।"
हमारे जवानों की तरह हम सबके भी बहुत से कर्तव्य है देश के प्रति। ज़रूरी नहीं कि देशभक्ति सरहद पर ही दिखायी जा सकती है। बल्कि देश के भीतर रह कर भी हम अपने मौलिक कर्तव्यों को निभा कर देशभक्ति दर्शा सकते हैं। हर व्यक्ति के लिए देशभक्ति की परिभाषा, मायने और पैमाने अलग हो सकते हैं। हमारे जीवन के कुछ मौलिक कर्तव्य हैं जिनका हमें ध्यान रखना चाहिए अथवा अपने उन कर्तव्यों को पूरा भी करना चाहिए। अक्सर हम अपने मौलिक कर्तव्यों से भागते हुए नज़र आते हैं। अक्सर लोग संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का गलत तरह से इस्तेमाल करते नजर आते हैं। भारत का संविधान इस देश में रहने वाले हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार देता है और बहुत से लोग उन अधिकारों का गलत तरह से इस्तेमाल करते हैं और सरकारी संपत्ति को ठेस पहुंचाते हैं। इस देश में रहने वाले हर व्यक्ति का छोटे से छोटा कदम देश के विकास पर असर डालता है और लोग बेईमान होकर खुद की जेब भरने में व्यस्त रहते हैं। यह चीजें देशभक्ति की परिभाषा के विरुद्ध है,जो धीरे-धीरे देश को खोखला कर रहा है।
modi tanashah hai
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