आखिर रिजर्वेशन ही समाधान क्यों?
मैं मानता हूं की देश में यानी कि देश के लोगों में समानता होनी चाहिए पर समानता होने का मतलब यह नहीं की जो व्यक्ति ज्यादा कुशल है उसको खींचा जाए उस व्यक्ति के लिए जो जो आर्थिक रूप से और अपने कार्य को करने में कम कुशल है।
मेरा यह मानना है कि रिजर्वेशन समाधान नहीं है अगर गरीब लोगों को उच्च शिक्षा मिले तो रिजर्वेशन की जरूरत ही नहीं है। अगर मोदी सरकार आज 10% रिजर्वेशन देने के बजाय उच्च शिक्षा देने और उच्च शिक्षा को कम से कम फीस में देने का फैसला लेती तो ज्यादा अच्छा होता।
इस सब का सीधा-सीधा मतलब यह है कि समानता जरूरी है पर इस तरह से समानता नहीं आती और समानता हर जगह नहीं होती। हम अपने हाथों की उंगलियों और अंगूठे को बराबर नहीं कर सकते पर हां इतनी समानता तो जरूरी है कि कोई उंगली ज्यादा बड़ी या कोई ज्यादा छोटी ना हो।
अब मान लीजिए दो व्यक्ति हैं एक अमीर घर से है और दूसरा गरीब परिवार का है और वह दोनों एक जगह सरकारी नौकरी के लिए जाते हैं और जो अमीर घर का व्यक्ति है वह ज्यादा कुशल है उस गरीब घर के व्यक्ति से।
तो यहां कुशलता के साथ साथ रिजर्वेशन को भी देखा जाएगा और नौकरी उस व्यक्ति को मिल जाएगी जो गरीब परिवार से है। क्योंकि वे कुशलता से ज्यादा रिजर्वेशन पर पहले ध्यान देंगे।
मोदी सरकार की मैं यहां यह तारीफ करूंगा कि उन्होंने किसी एक धर्म या किसी एक जाति के लिए रिजर्वेशन का फैसला नहीं लिया उन्होंने सभी गरीब सवर्णों को रिजर्वेशन देने का फैसला लिया है जिसमें सभी धर्म के गरीब सवर्णों को रिजर्वेशन मिलेगा। उन्होंने यह दिखाया की वे पूरे देश को एक साथ लेकर चलते हैं और एक समान मानते हैं पर सारी बात यह है की समानता होने का मतलब किसी दूसरे व्यक्ति का ना तो हक छीना जाना चाहिए और ना ही उसे खींचा जाना चाहिए।
सही मायने में यह रिजर्वेशन किसी गेम के चीट कोड की तरह है जिससे आसानी से जीत मिल जाती है।
धन्यवाद।
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