Sunday, February 17, 2019

शहादत: 14 फरवरी

14 फरवरी को हिंदुस्तान का इतिहास बहुत बुरा रहा है और इसी साल 14 फरवरी को  पुलवामा में हमारे 45 जवान शहीद हो गए और 40 से ज्यादा घायल हो गए। 14 फरवरी 1931 में हमारे स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह को फांसी की सज़ा सुनाई थी। आने वाली पीढ़ी आजादी देख सके इसके लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी और ना जाने कितने लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। सिर्फ इस वजह से कि हिंदुस्तान की आने वाली पीढ़ी आज़ादी देख सके। उन्हें अच्छे से पता था कि अगर वो आज़ादी के लिए लड़ते हैं तो वे आज़ादी नहीं देख पाएंगे और उन्हें अंग्रेजी शासक फांसी दे देंगे। हाल ही में 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद नामक ग्रुप ने हमारे वीर जवानों के प्राणों को ठेस पहुंचाया। इस हादसे से पूरा हिंदुस्तान रो रहा है और सभी के दिलों में एक बदले की आग जल गई है। मरना कोई बड़ी बात नहीं है पर देश के लिए मरना (शहीद) बहुत बड़ी बात होती है। अगर एक भगवान ऊपर वाला है और एक भगवान हमारे माता पिता, तो वह भी किसी भगवान से कम नहीं जो हमारे लिए अपने प्राणों को त्याग देते हैं, अपने घर वालों को त्याग देते हैं। क्या उनका घर बार नहीं, क्या उनका परिवार, उनका संसार नहीं है, फिर भी हमारे लिए सब कुछ त्याग देते हैं। सही मायने में मोहब्बत तो इसे कहते हैं। जन्म देती है मां, ज़िन्दगी ऊपर वाला देता है पर सुरक्षित ज़िन्दगी हमें हमारे वीर जवान देते हैं। जब भी किसी के घर में कोई एक सदस्य बीमार हो जाता है तो उसको ठीक करने के लिए अगर सारी संपत्ति बेचनी पड़े तो हुम बेच देते हैं। इसका मतलब एक जिंदगी की कीमत लाखों करोड़ है और वहीं मोल ज़िंदगी उन्होंने हमारे लिए 2 मिनट में गवा दी। क्या किसी के मन में यह सवाल उठा कि उन्होंने तो अपने देश के लिए बहुत कुछ किया है, हमने क्या करा। सिर्फ सांत्वना दी, बदला बदला कहकर चिल्लाये लोग। इसके सिवा हमने अपने देश के लिए क्या किया या उनके घर वालों के लिए जिनका बेटा हमारे लिए शहीद हो गया।
हम चैन से जी सके इसलिए उन्होंने अपना चैन खो दिया और फिर भी कई नेता और बड़ी बड़ी पर्सनेेेलीटी उनके शहादत पर रो नहीं रहे हैं बल्कि उनकी शहादत का मजाक बना रहे हैं। जब पता चला होगा  उनके घर वालों को इस हादसे के बारे में  तो उनका कलेजा फट के  बाहर आ गया होगा। क्या कभी किसी ने सोचा  कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं।  वो जान दे देते हैं हमारे लिए और हम में से ही कोई रेप कर रहा है, कोई भ्रष्टाचार कर रहा है, कोई संविधान का उल्लंघन कर रहा है तो कोई मर्डर कर रहा है।इसके सिवा  हमने कुछ नहीं किया देश के लिए।
कितने झूठे हैं ना हमारे सैनिक जो हर रोज अपने घरवालों से यह वादा करते थे कि मैं बहुत जल्द छुट्टी लेकर घर पर आऊंगा। वे वहां इंतजार कर रहे थे है यह सोच रहे थे कि इतने दिनों बाद हमारे घर में खुशियां आने वाली है  पर उन्हें क्या पता था  कि दुखों का पहाड़ उनके आसपास मंडरा रहा है।  उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा वापस तो आएगा पर तिरंगे में लिपटकर।
इस देश के हर नागरिक को इन शहीदों की शहादत का महत्व समझना चाहिए और देश के प्रति जागरूक होना चाहिए।
जय हिंद।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जय भारत।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
वंदे मातरम।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
भारत माता की जय।🇮🇳🇮🇳🇮🇳

Monday, February 4, 2019

कब तक मिलती रहेगी जिंदगी की कीमत

3 फरवरी 2019  को हुआ  एक और रेल हादसा। हर साल  कई रेल हादसे होते रहते हैं  और  रेल हादसे में  हजारों जानें चली जाती है औरआखिर में  सरकार मुआवजा दे देती है। आखिर कब तक सरकार  ज़िन्दगियों की कीमत  देती रहेगी। रेल हादसों को रोकने की बजाए सरकार मुआवजा देकर लोगों को संवेदना देती है। हाल ही में हुए  सीमांचल एक्सप्रेस  के 11 डिब्बे पटरी हुए इस हादसे में  56 लोग जख्मी हुए  और  6 लोगों की मौत हो गई। स्लीपर डिब्बे  की ग्रिल को काटकर  जख्मी लोगों को बाहर निकाला गया। रेल मंत्री ने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है  उनके परिजनों को  ₹500000 देगी  और  जो गंभीर  रूप से घायल है  उन्हें ₹100000 देगी और वही  जो लोग  कम जख्मी हैं उन्हें ₹50000 देगी।  बिहार सरकार  ने  मृतकों के परिजनों ₹400000 देने की बात कही  और घायलों को  50,000। यह बात तो थी  मुआवजे की। अब बात है कि कब तक है  रेल हादसे होते रहेंगे। जिस देश में  बुलेट ट्रेन  प्रोजेक्ट  की बात हो रही है,  वहीं  अगर रेल हादसे  हो  तो जनता  बुलेट ट्रेन का  क्या करेगी। जो ट्रेनें ज्यादा से ज्यादा 110  किलोमीटर  प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है  अगर  उन ट्रेनों में ऐसे हादसेे हो जाए तो बुलेट ट्रेन कैसे सफल होगी इस देश में। लोग अपनी जान बचाने के लिए  लाखों रुपए खर्च कर देते हैं  और यहां तक की  अपना घरबार  सब कुछ बेच देते हैं  सिर्फ और सिर्फ अपनी जिंदगी बचाने के लिए। वहीं  सरकार इनकी कीमती ज़िन्दगियों का मोल  मुआवजा देकर कर रही है। लोगों को मुआवजे की नहीं अच्छी रेल यात्रा की जरूरत है। सरकार को  इन  दुर्घटनाओं  को रोकने के लिए  सख्त कदम उठाना चाहिए।

Sunday, February 3, 2019

भाजपा v/s काला धन


विपक्ष पार्टी के पास राफेल और किसानों के मुद्दे के सिवा कालेधन का मुद्दा भी है। लोकसभा के चुनाव निकट है और भाजपा सरकार एक के बाद एक झटके दे रही है विपक्ष को। नोट बंदी की खबर के बाद  एक और  खबर  कालेधन  की है, जो मोदी सरकार के वोटर्स बढ़ा देगा। 90 देशों ने वित्त मंत्रालय के खुफिया विभाग को 5000 दस्तावेज दिए हैं। 1.30 लाख करोड़ की अघोषित संपत्तियां कर दायरे में है। भारत ने 154 देशों से समझौता किया हुआ है। भारत ने अमेरिका यूरोप दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया समेत कई देशों से समझौता किया हुआ है। पिछले साल स्विस बैंक बीसीआई ने कहा 2017 में उनके यहां भारतीयों के जमा धन में 34.5 प्रतिशत की कमी आई है। नोटबंदी के दौरान 6900 करोड़ की बेनामी संपत्तियां जप्त की गई और 1600 करोड़ विदेशी परिसंपत्तियों भी जप्त की गई।
तो फिर वह लोग कौन है जो यह बोलते हैं की नोट बंदी पूरी तरह से फेल हुई है? वे लोग कोई भी हो पर हकीकत यह है कि नोट बंदी पूरी तरह से कामयाब नहीं हुई है। पर इतना है कि  लोग घरों में नोट दबा कर रखने मेें डरते हैं। हजारों लोग कर विभाग की नज़रों में आए हैं और कई लोग तो ऐसे थे जो सरकार को आमदनी कम दिखाते थे। नोटबंदी के बाद वे लोग भी कर विभाग की नजरों में आए हैं। नोटबंदी का सबसे बुरा प्रभाव  यह पडा  की  भारत  की जीडीपी  नीचे गिर गई। नोट बंदी  के नुकसान  भी है तो  फायदे भी है। नोट बंदी से भले ही जीडीपी गिर गई हो पर यह जरूरी था क्योंकि इससे लोगों के घरों का दबा हुआ पैसा बाहर आ गया। जब भी हम सफाई की बात करते हैं तो सबसे पहले अपने घर से शुरुआत करते हैं। बिल्कुल उसी तरह मोदी सरकार ने किया है। घर के अंदर की सफाई तो हो गई है, अब घर के बाहर की सफाई  करनी बाकी है। यानी कि हमारे देश के अंदर का काला धन तो बाहर आ गया बस अब देश के बाहर का काला धन वापस लाना है।इसके लिए हमें मोदी सरकार की तारीफ भी करनी चाहिए और उनसे एक सवाल भी पूछना चाहिए की  इन सब मेें इतना वक्त क्यों लगा दिया और कब तक हमारे देश की जीडीपी बढ़ेगी।

Friday, February 1, 2019

मोदी, महागठबंधन और कांग्रेस महासचिव।


2019 के लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और सभी राजनीतिक पार्टी ने दांव पेच लड़ने शुरू कर दिए हैं। इस वक्त राजनीति में महाभारत चल रही है और जंग शुरू हो चुकी है।
मोदी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराने के लिए ममता की टीएमसी, मायावती की बीएसपी, अखिलेश की  एसपी और कुछ और पार्टियों ने महागठबंधन कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को अपने महासचिव के रूप में खड़ा किया है। इन सब का भाजपा पर 2019 के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा वह तो रिजल्ट ही बताएगा पर इन सब ने मिलकर मोदी को घेर लिया है। इस वक्त सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी हर रोज कुछ ना कुछ  लोकलुभावन  बातें बोलते हैं और देश की जनता को लालच देते हैं वैसे तो इसमें मोदी सरकार भी कम नहीं है सत्ता हाथ से ना जाए इसके लिए मोदी सरकार भी जनता को लालच  दे रही है  और  विपक्षी पार्टी को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इस वक्त राजनीति इतनी मजेदार चल रही है की एक तरफा  कुछ भी नहीं है। कभी ऐसा लगता है कि मोदी सरकार जीतेगी तो कभी ऐसा लगता है  कि कांग्रेस जीतेगी। तो कभी ऐसा लगता है कि महागठबंधन की सरकार बनेगी। हर रोज़ गेम चेंजर की खबरें आती हैं। यह बात तो सच है कि हर पार्टी ने एजेंडा सेट कर रखा है चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी सब राजनीति खेल रही है।
कांग्रेस ने महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी को लाए हैं और यह सोचते हैं की प्रियंका गांधी को इस वक्त राजनीति में लाना गेम चेंजर है अब भला कोई यह बात बताए की अगर प्रियंका गांधी की शक्ल उनकी दादी इंदिरा गांधी से मिलती है तो इसमें बड़ा क्या है और इसमें गेम चेंजर क्या है। देश को फीचर नहीं चाहिए देश को क्वालिटी चाहिए, देश संभालने की यानी कि इस देश को ऐसे नेता की जरूरत है जो हिंदुस्तान को बहुत ऊपर ले जा सके। इसके सिवा कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार मोदी पर वार कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मुद्दा राफेल और किसानों का था। अब मोदी सरकार ने उसका भी जवाब दे दिया सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर क्लीन चिट मोदी सरकार को दे दी। मोदी सरकार ने किसानों को ₹6000 सालाना देने की बात कही है। वैसे तो  राहुल गांधी  ने भी  वादा किया था  और फिर वादे से मुकर  गए थे। अब देखना है क्या है कि क्या मोदी सरकार भी मुकर जाती है  या  वह  अपने  वादे  पर  खरी उतरती है। फिलहाल तो राहुल गांधी की बोलती बंद है पर उनका कहना है कि हमारे पास और भी मुद्दे हैं जिससे हम मोदी पर वार कर सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर महागठबंधन भी मोदी सरकार पर लगातार वार कर रही है और कोशिश कर रही है की जनता को यह दिखाया जाए कि मोदी सरकार ने कुछ नहीं करा। इतिहास गवाह है कि जब जब  गठबंधन  की सरकार  लोकसभा में बनी है  तब-तब  सरकार  गिरी है और दोबारा  से चुनाव  हुए हैं  और  अनुमान यह लगाया जा रहा है कि अगर इस बार भी लोकसभा में गठबंधन की सरकार बन जाती है और गिर जाती है तो खर्च पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा होगा और देश को हजारों करोड़ का नुकसान हो जाएगा।

कनिका कपूर के अक्सर लंदन जाने का राज़, जानिए उनसे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें

आज कल कनिका कपूर सुर्खियों में है, उनके कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के बाद उनकी चर्चा देशभर में चल रही है। जब कनिका को कोरोना वायरस पॉजिटि...