Monday, February 4, 2019

कब तक मिलती रहेगी जिंदगी की कीमत

3 फरवरी 2019  को हुआ  एक और रेल हादसा। हर साल  कई रेल हादसे होते रहते हैं  और  रेल हादसे में  हजारों जानें चली जाती है औरआखिर में  सरकार मुआवजा दे देती है। आखिर कब तक सरकार  ज़िन्दगियों की कीमत  देती रहेगी। रेल हादसों को रोकने की बजाए सरकार मुआवजा देकर लोगों को संवेदना देती है। हाल ही में हुए  सीमांचल एक्सप्रेस  के 11 डिब्बे पटरी हुए इस हादसे में  56 लोग जख्मी हुए  और  6 लोगों की मौत हो गई। स्लीपर डिब्बे  की ग्रिल को काटकर  जख्मी लोगों को बाहर निकाला गया। रेल मंत्री ने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है  उनके परिजनों को  ₹500000 देगी  और  जो गंभीर  रूप से घायल है  उन्हें ₹100000 देगी और वही  जो लोग  कम जख्मी हैं उन्हें ₹50000 देगी।  बिहार सरकार  ने  मृतकों के परिजनों ₹400000 देने की बात कही  और घायलों को  50,000। यह बात तो थी  मुआवजे की। अब बात है कि कब तक है  रेल हादसे होते रहेंगे। जिस देश में  बुलेट ट्रेन  प्रोजेक्ट  की बात हो रही है,  वहीं  अगर रेल हादसे  हो  तो जनता  बुलेट ट्रेन का  क्या करेगी। जो ट्रेनें ज्यादा से ज्यादा 110  किलोमीटर  प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है  अगर  उन ट्रेनों में ऐसे हादसेे हो जाए तो बुलेट ट्रेन कैसे सफल होगी इस देश में। लोग अपनी जान बचाने के लिए  लाखों रुपए खर्च कर देते हैं  और यहां तक की  अपना घरबार  सब कुछ बेच देते हैं  सिर्फ और सिर्फ अपनी जिंदगी बचाने के लिए। वहीं  सरकार इनकी कीमती ज़िन्दगियों का मोल  मुआवजा देकर कर रही है। लोगों को मुआवजे की नहीं अच्छी रेल यात्रा की जरूरत है। सरकार को  इन  दुर्घटनाओं  को रोकने के लिए  सख्त कदम उठाना चाहिए।

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